Profit & Loss Statement in Hindi | लाभ हानी खाता क्या है?
भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल से अगले साल की 31 मार्च तक होता है।
प्रत्येक वित्तीय वर्ष को तीन तीन महीने के 4 हिस्सों में बांटा जाता है।
उन हर एक हिस्से को Quarter कहा जाता है।
जैसे अभी वित्तीय वर्ष 2020 के पहले Quarter के कंपनीओ के Result यानी Profit & Loss Statement आ रहे है।
इनसे हमें पता लगेगा की कंपनीओ ने FY20 के पहले Quarter यानी 1 अप्रेल 2019 से 30 जून 2019 ने कितना लाभ और नुकसान किया।
निचे मैंने D’Mart का वित्तीय वर्ष 2018 का Profit & Loss Statement दिया है जिसे आज हम समझेंगे।
किसी भी कंपनी के साल के P&L Statement में उस साल और उसके अगले साल के रिजल्ट आते है।
जिसमे पिछले साल का रिजल्ट दाई ओर तथा उस साल का रिजल्ट बाई ओर होता है।
क्युकी केवल एक साल के रिजल्ट से यह पता नहीं चलता की कंपनी की आय ,खर्च और लाभ आदि बढे है,या कम हुए है।
ऊपर दिए हुए P&L Statement में भी FY 18 का रिजल्ट बाई ओर तथा FY 17 का रिजल्ट दाई ओर है।
सबसे पहले की ROW में तीन चीज़े दी गई है, जिसमे 31 March 2018 और 31 March 2017 कब तक का रिजल्ट है वह बताते है।
Notes के निचे लिखे हुए आंकड़े यह बताते है की किस चीज़ की ज्यादा जानकारी के लिए कौनसी Note में जाए।
यह उस चीज़ या Entry के बारे में ज्यादा जानकारी देती है।
इसके बारे में आगे समझमे आ जाएगा।
₹ in Lakhs का मतलब है, निचे दिए गए सभी आंकड़े Lakh में है।
जैसे 1 का मतलब होगा 1 लाख रुपए।
Income :
Income यानी की आय दर्शाती है की इन तीन महीनो में कंपनी ने कितना पैसा कमाया।
इसके मुख्य दो भाग होते है, Revenue From Operations और Other Income.
Revenue From Operations :
Revenue From Operations का सीधा मतलब है, की कंपनी जो कोई प्रोडक्ट या सर्विस बेचती है, उसे बेचकर कंपनी के पास कितना पैसा आया।
इसे आप ऐसे देख सकते है, की कंपनी ने कितने रुपए का माल बेचा।
जैसे D’Mart के उदाहरण में Revenue From Operations है, 1,500,889 लाख यानी 15,008.89 करोड़।
इसका मतलब है, FY18 में D’Mart ने 15,008.89 करोड़ के प्रोडक्ट्स बेचे।
और उसके पिछले साल यानी की FY17 में कंपनी ने 11,881.11करोड़ के प्रोडक्ट्स बेचे।
यानी FY18 में कंपनी की आय करीब 26 % बढ़ी जो की बहुत ही बढ़िया ग्रोथ है।
Revenue From Operations के सामने 25 नंबर लिखा गया है।
यह उस Note का नंबर है, जिसमे Revenue की अधिक जानकारी दी गई है।
अगर कंपनी एक से ज्यादा प्रकार की प्रोडक्ट्स बेचती है, तो कैसे पता चलेगा की किस प्रकार की प्रोडक्ट्स ज्यादा बिकी है, और किस प्रकार की कम बिकी है।
इस चीज़ की जानकारी उन Notes में दी होती है।
यह Note आपको कंपनी के Annual Report में ही मिल जाएगी।
ऐसी ही Notes आपको बहुत सी चीज़ो के सामने देखने मिलेंगी।
Other Income :
Other Income वह आय है, जो कंपनी ने अपनी कोई Products या Service बेचे बिना कमाई है।
जैसे कंपनी ने किए हुए निवेश से मिला हुआ ब्याज तथा कंपनी ने कोई जगह किराए पर दी है, तो उसका किराया।
D’Mart की FY18 की Other Income है, 72.64 करोड़ जो पिछले साल 31.28 करोड़ थी।
Other Income कंपनी की कुल आय का बहुत छोटा हिस्सा होती है।
अगर किसी कंपनी की Other Income , Revenue From Operations से ज्यादा है, तो हमें उसके बारे में ज्यादा जानकारी लेनी चाहिए।
क्युकी कभी कंपनी अपना कोई निवेश बेचेगी तो हो सकता है, की उस निवेश की कीमत Revenue From Operations से बहुत ज्यादा हो।
लेकिन अगर कंपनी की Revenue From Operations बहुत कम हो तो हमें उसके बारे में सावधान हो जाना चाहिए।
Total Income दोनों ही Revenue From Operations तथा Other Income को जोड़ ने से मिलती है।
जो D’Mart के लिए FY18 में 15081.54 करोड़ है और FY17 में 11912.40 करोड़ था।
यानी उसकी कुल आय साल FY18 में 26.60 % बढ़ी है।
इसके बाद आते है,
Expenses यानी खर्च :
इन खर्च में पहला है,
Purchase Of Stock In Trade :
इसका मतलब है,
कंपनी द्वारा खरीदी गई वो प्रोडक्ट्स का खर्च जो कंपनी बिना कोई प्रोसेस के सीधे बेचती है।
जैसे D’Mart ने इस साल 12862.76 करोड़ की Products बेचने के लिए खरीदी है।
दूसरा है,
Changes in inventories of stock-in-trade :
Inventory का मतलब है, कंपनी के पास पड़ी हुई वह Products जो अभी तक बिकी नहीं है।
और Changes in inventories of stock-in-trade का मतलब है, कंपनी की इस साल में कितने रुपए की प्रोडक्ट्स नहीं बिकी है।
इसे एक उदहारण से समझते है।
कंपनी ABC ने इस साल 100 रुपए की Products खरीदी है, और कंपनी अपना मार्जिन 50 % रखती है।
यानी अगर कंपनी सभी प्रोडक्ट्स बेचेगी तो उसके पास 150 रुपए आएँगे।
जिसमे से 50 रुपए उसका प्रॉफिट होगा।
लेकिन इस कंपनी की सिर्फ आधी ही प्रोडक्ट्स बिकी है, तो ऐसे में उसे मिलने वाली आय तो सिर्फ 75 ही होगी।
लेकिन उसने तो 100 रुपए की प्रोडक्ट खरीदी है, इस से तो कंपनी को 25 रुपए का नुकसान होगा ?
जो सच्चा नुकसान नहीं है।
क्युकी कंपनी की तो सिर्फ आधी प्रोडक्ट ही बिकी है।
इस लिए जो 75 रुपए उसने कमाए है, वह सिर्फ 50 रुपए की प्रोडक्ट बेच कर कमाए है।
तो इसको इस तरीके से लिखा जाएगा :
Income – 75 रुपए
Expenses :
Purchase Of Stock In Trade – 100 रुपए
Changes in inventories of stock-in-trade – (-50) रुपए
जिस से कंपनी का Profit = Income – Expenses
Profit = 75 – (100 -50) = 75 -50 = 25 रुपए।
यानी Changes in inventories of stock-in-trade यह बताता है, की इस खरीदी गई प्रोडक्ट्स में से कितने रुपए की प्रोडक्ट नहीं बिकी।
इस राशि को Expenses में माइनस के साथ लिखा जाता है।
Changes in inventories of stock-in-trade की दूसरी स्थति :
अब कई बार ऐसा होता है, की कंपनी ने इस साल की सभी प्रोडक्ट्स के आलावा पिछले साल खरीदी हुई कुछ प्रोडक्ट्स भी बेच दी।
इस स्थिति में जितनी राशि की प्रोडक्ट्स बिकी है, उसको पिछले साल जितने रुपए की प्रोडक्ट्स थी उस से घटा कर बची राशि को लिखा जाएगा।
जैसे अगर पहले वाले उदहारण में कंपनी ने इस साल 100 रुपए में खरीदी सभी प्रोडक्ट्स के साथ साथ पिछले साल 100 रुपए की प्रोडक्ट्स में से 50 रुपए की प्रोडक्ट्स भी बेच दी तो इसे ऐसे दर्शाया जाएगा :
Income – 225 रुपए
Expenses :
Purchase Of Stock In Trade – 100 रुपए
Changes in inventories of stock-in-trade – 50 रुपए (100 – 50)
जिस से कंपनी का Profit = Income – Expenses
Profit = 225 – (100+50) = 225 – 150 = 75 रुपए।
इसके बाद है,
Employee benefits expense :
यह वो खर्च है, जो कंपनी के Employees के लिए किए जाते है।
जैसे उनकी तनख्वाह , उनके PF का पैसा आदि चीज़ो का खर्च।
D’Mart के लिए यह खर्च है, 276.55 करोड़।
इसके बाद है,
Finance Cost :
अगर कंपनी ने किसी तरह का क़र्ज़ लिया है, तो उसका ब्याज इस Finance Cost में लिखा जाएगा।
जैसे D’Mart के लिए यह Finance Cost 59.41 करोड़ है, जो 121.80 करोड़ था।
यानी की उसने Finance Cost कम किया है, जो बहुत अच्छी बात है।
उसके बाद है,
Depreciation and Amortization expense :
जब कंपनिया कोई बड़ी संपत्ति खरीदती है, तो उसके लिए अच्छे खासे पैसे खर्च करने पड़ते है।
अब उस खर्च को सीधे कोई एक साल में नहीं लिया जा सकता क्युकी ऐसा करने पर कंपनी का P&L Account Loss में दिखाएगा।
इस लिए उस खर्च को उस संपत्ति की आयु के हिसाब से कुछ सालो में बाट लिया जाता है।
जैसे अगर कंपनी ने इस साल 100 करोड़ की एक मशीन खरीदी और उसकी अनुमानित आयु 20 साल है, तो कंपनी इस साल से अगले 20 साल तक 5 -5 करोड़ रुपए खर्च के तौर पर लेगी।
अगर वो संपत्ति Tangible यानी की जिसे हम देख और छू सकते है, वो होगी तो यह खर्च Depreciation में लिखा जाएगा।
और अगर कंपनी ने कोई Software या Patent ऐसा कुछ ख़रीदा तो उस खर्च को Amortization में लिखा जाएगा।
इन दोनों के बारे में हम विस्तार से आने वाले दिनों में जानेंगे।
इसके बाद है,
Other expenses :
ऊपर दिए गए खर्च के आलावा भी कुछ खर्च होते है, जिन्हे Other expenses में लिखा जाता है।
जैसे Labour charge , बिजली का बिल , Maintenance का खर्च आदि।
इस तरह हमें इन सभी खर्च को जोड़ कर Total Expenses मिल जाते है।
D’Mart के उदहारण में यह Total Expenses है, 13885.65 करोड़ है।
इसको Total Income में से घटा कर हम Profit Before Tax यानी कंपनी का टैक्स देने से पहले का मुनाफा गिन सकते है।
D’Mart के लिए यह मुनाफा है , 1195.88 करोड़।
इस तरह हम Profit & Loss Statement में Profit Before Tax तक समझ चुके है।
Profit Before Tax के बाद आता है,
Tax Expense :
इन Tax Expense में पहला है,
Current Tax :
Current Tax वो टैक्स है, जो की इस साल (यानी की FY18) की कमाई पर लगता है।
D’Mart के लिए वह Current Tax है, 417.16 करोड़।
इसके बाद है,
Adjustment of tax related to earlier periods :
अगर पिछले साल Financial Statements में कोई गलती हो गई हो उसको इस साल Adjust करने के लिए Adjustment of tax related to earlier periods का उपयोग होता है।
जैसे यहाँ पर D’Mart के उदाहरण में 0.49 करोड़ का किया गया है।
इसके बाद है,
Deferred tax charge/(credit) :
Deferred Tax वह टैक्स है, जो कंपनी ने पिछले साल यानी (FY 17) में भर दिया था।
जिस से वो टैक्स इस साल फिर से न भरना पड़े इसके लिए इस Deferred Tax को Tax Expenses से घटाया जाता है।
कुछ संजोगो में Deferred Tax घटाया भी जा सकता और कुछ में जोड़ा भी जा सकता है।
दोनों ही स्थिति अलग अलग होती है।
इन दोनों ही स्थिति और Deferred Tax को भी हम आगे आने वाले दिनों में विस्तार से जानेंगे।
अभी D’Mart के उदाहरण में Deferred Tax है 5.44 करोड़, जो की Tax Expense से घटाया गया है।
यानी D’Mart ने यह 5.44 करोड़ का टैक्स पिछले साल पहले से ही भर दिया था।
इन सब Taxes को जोड़कर बनता है,
Total Income Tax Expense :
यह वो Tax है, जो कंपनी को इस साल भरना है।
यहाँ पर D’Mart के उदहारण में Total Income Tax Expense है, 411.22 करोड़।
जिसे Profit Before Tax में से घटाना होता है।
Profit for the year :
Profit for the year यह वो मुनाफा है, जो कंपनी को मिलता है।
इसमें से Tax भी कट जाने के कारण इसे Profit After Tax , PAT या फिर कई बार इसे Bottom Line भी कहा जाता है।
लेकिन इसमें से Other Comprehensive Income को जोड़ा या घटाया जाता है।
Other Comprehensive Income :
Other Comprehensive Income का सीधा मतलब है, कंपनी की ऐसी Income जो सीधे सीधे कंपनी का Profit या Loss नहीं है।
जैसे कंपनी ABC ने 1 साल पहले 100 करोड़ में कोई जमीन खरीदी थी , अब एक साल के बाद कंपनी ने जब उस जमीन की कीमत पता की तो वह 110 करोड़ हो गई है।
अब इस स्थिति में कंपनी की उस जमीन की कीमत 10 करोड़ से बढ़ गई जो एक तरह की Income ही है।
ऐसा सिर्फ जमीन के लिए ही नहीं बल्कि बहुत सी संपत्ति के लिए होता है।
हलाकि कंपनी ने अब तक यह जमीन बेचीं नहीं है, इस लिए उसे सीधे Profit या Loss में नहीं जोड़ा जाता।
इस लिए इस Income को Other Comprehensive Income कहा जाता है।
और अगर उस संपत्ति के दाम कम हो गए तो उसे भी Other Comprehensive Income में Loss के तौर पर बताया जाता है।
Profit For The Year में Other Comprehensive Income का Adjustment करने के बाद जो Income मिलती है, उसे Total comprehensive income for the year कहते है।
D’Mart के उदाहरण में कंपनी की Total comprehensive income for the year है, 784.13 करोड़।
इसके बाद आता है,
Earning Per Share :
Earning Per Share प्रत्येक शेयर पर कंपनी की कमाई है।
इस को EPS भी कहा जाता है।
उदहारण के तौर पर अगर कंपनी ने 100 करोड़ शेयर जारी किए है, और इस साल का उसका मुनाफा 200 करोड़ है, तो उसका
EPS = Total Income / Number of outstanding Shares
EPS = 200 करोड़ /100 करोड़ = 2 रुपए
यानी वह कंपनी अपने प्रत्येक शेयर पर 2 रुपए कमाती है।
D’Mart के उदाहरण में
EPS = 784.13 करोड़ / 62.4 करोड़ = 12.57 रुपए है।
किसी भी कंपनी ने कितने शेयर, बाजार में जारी किए है, इसका पता हम Company के Share Capital में उसकी Face Value का भाग दे कर निकाल सकते है।
Share Capital वो कुल पैसा है, जो कंपनी ने अपने शेयर बेचकर इकठ्ठा किया है।
और Face Value किसी भी शेयर की मूल कीमत यानी उसके Certificate में लिखी कीमत है, जिसे कंपनी बनाते वक्त रखा गया था।
इस लिए Share Capital में Face Value का भाग देने से कंपनी ने जारी किए हुए शेयर की संख्या पता चलती है।
कंपनी की Share Capital उसकी Balance Sheet से पता चलती है, जो हम आने वाले दिनों में समझेंगे।
अब D’Mart का Share Capital है, 624 करोड़ और उसकी Face Value है, 10 रुपए।
इस लिए उसके number of shares होंगे 62.4 करोड़।
इस EPS को Basic EPS भी कहा जाता है।
अगला और आखरी है,
Diluted EPS :
कुछ संजोगो में कंपनी के शेयर बढ़ जाते है।
जैसे अगर कंपनी ने अपने Employees को Stock Options दे रखे है, या अगर कंपनी ने कोई Convertible Preference Share Issue किए हो।
या फिर कंपनी ने कोई Convertible Debentures issue किए हो तब ऐसा हो सकता है।
(डरिए मत इसके बारे में भी हम आने वाले दिनों में जरूर समझेंगे।)
अगर शेयर की संख्या तो बढ़ जाती है, तो उतनी ही Total comprehensive income for the year पर प्रत्येक शेयर की कमाई कितनी होगी इसे कहते है, Diluted EPS .
और यह Diluted EPS D’Mart के लिए है, 12.41 रुपए होगा।
अब एक निवेशक के तौर पर हमें हमेशा Diluted EPS को ही देखना चाहिए ना की Basic EPS को।
दोस्तों में कोई Finance के Background से तो नहीं हु लेकिन फिर भी मैंने बहुत ही आसान तरीके से D’Mart के Profit & Loss Statement को समझाने की कोशिस की है।
उम्मीद करता हु मेरी इस कोशिस से आपको Profit and Loss Statement समझ में आ गया होगा।